नई दिल्ली: 'आई लव मोहम्मद ﷺ' मामले में दर्ज एफआईआर और गिरफ्तारियों के बाद, रज़ा अकेडमी ने अब कानूनी लड़ाई का रास्ता अपनाया है। चेयरमैन अलहाज सईद नूरी के निर्देश पर MSO के चेयरमैन डॉ. शुजाअत अली कादरी ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल की है। इस कदम का मकसद मामले को शांतिपूर्ण और कानूनी तरीके से सुलझाना है, जिससे समाज में सद्भाव बना रहे।
न्याय की उम्मीद में अदालत का दरवाज़ा खटखटाया
रज़ा अकेडमी द्वारा दायर की गई पीआईएल में मुख्य रूप से दो मांगें रखी गई हैं:
मामले से संबंधित सभी मुकदमों को वापस लिया जाए।
इस मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों को रिहा किया जाए।
यह याचिका दिखाता है कि रज़ा अकेडमी कानून के दायरे में रहकर न्याय की उम्मीद करती है। यह कदम तनाव को बढ़ाने के बजाय, कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से समाधान खोजने का एक सकारात्मक प्रयास है।
शांति और भाईचारे की अपील
इस पूरे घटनाक्रम के बीच, रज़ा अकेडमी के चेयरमैन अलहाज सईद नूरी ने जनता से शांति और आपसी सौहार्द बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आगे की लड़ाई कानूनी तौर पर लड़ी जाएगी। यह अपील उन सभी लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है जो इस मामले से प्रभावित हैं, कि वे किसी भी तरह की अशांति का हिस्सा न बनें।
शांतिपूर्ण विरोध के लिए भारत बंद
कानूनी लड़ाई के साथ-साथ, सईद नूरी ने आगामी 3 अक्टूबर को शांतिपूर्ण भारत बंद का भी ऐलान किया है। यह विरोध का एक अहिंसक और लोकतांत्रिक तरीका है, जिसके जरिए वे अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाना चाहते हैं। MSO के चेयरमैन डॉ. शुजाअत अली कादरी ने भी युवाओं से विशेष अपील करते हुए कहा है कि वे अपनी मांगों के लिए केवल शांतिपूर्ण और अहिंसक तरीकों का ही सहारा लें।
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